Gk QUESTION BY PANKAJ
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन ' भारतीय
इतिहास ' में लम्बे समय तक चलने वाला एक
प्रमुख राष्ट्रीय आन्दोलन था। इस आन्दोलन
की औपचारिक शुरुआत 1885 ई. में कांग्रेस की
स्थापना के साथ हुई थी, जो कुछ उतार-
चढ़ावों के साथ 15 अगस्त , 1947 ई. तक अनवरत
रूप से जारी रहा। वर्ष 1857 से भारतीय
राष्ट्रवाद के उदय का प्रारम्भ माना जाता
है। राष्ट्रीय साहित्य और देश के आर्थिक
शोषण ने भी राष्ट्रवाद को जगाने में
महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। भारत के
राष्ट्रीय आन्दोलन को तीन भागों में
बाँटा जा सकता है-
प्रथम चरण (1885-1905 ई. तक)
मुख्य लेख : भारतीय राष्ट्रीय
आन्दोलन (प्रथम चरण)
इस काल में ' भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ' की
स्थापना हुई, किंतु इस समय तक इसका लक्ष्य
पूरी तरह से अस्पष्ट था। उस समय इस आन्दोलन
का प्रतिनिधित्व अल्प शिक्षित,
बुद्धिजीवी मध्यम वर्गीय लोग कर रहे थे। यह
वर्ग पश्चिम की उदारवादी एवं अतिवादी
विचारधारा से प्रभावित था।
द्वितीय चरण (1905 से 1919 ई. तक)
मुख्य लेख : भारतीय राष्ट्रीय
आन्दोलन (द्वितीय चरण)
इस समय तक 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस'
काफ़ी परिपक्व हो गई थी तथा उसके लक्ष्य
एवं उद्देश्य स्पष्ट हो चुके थे। राष्ट्रीय कांग्रेस
के इस मंच से भारतीय जनता के सामाजिक,
आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक
विकास के लिए प्रयास शुरू किये गये। इस
दौरान कुछ उग्रवादी विचारधारा वाले
संगठनों ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद को
समाप्त करने के लिए पश्चिम के ही
क्रांतिकारी ढंग का प्रयोग भी किया।
तृतीय एवं अन्तिम चरण (1919 से 1947 ई. तक)
मुख्य लेख : भारतीय राष्ट्रीय
आन्दोलन (तृतीय चरण)
इस काल में महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस
ने पूर्ण स्वरज्य की प्राप्ति के लिए आन्दोलन
प्रारम्भ किया।
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन ' भारतीय
इतिहास ' में लम्बे समय तक चलने वाला एक
प्रमुख राष्ट्रीय आन्दोलन था। इस आन्दोलन
की औपचारिक शुरुआत 1885 ई. में कांग्रेस की
स्थापना के साथ हुई थी, जो कुछ उतार-
चढ़ावों के साथ 15 अगस्त , 1947 ई. तक अनवरत
रूप से जारी रहा। वर्ष 1857 से भारतीय
राष्ट्रवाद के उदय का प्रारम्भ माना जाता
है। राष्ट्रीय साहित्य और देश के आर्थिक
शोषण ने भी राष्ट्रवाद को जगाने में
महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। भारत के
राष्ट्रीय आन्दोलन को तीन भागों में
बाँटा जा सकता है-
प्रथम चरण (1885-1905 ई. तक)
मुख्य लेख : भारतीय राष्ट्रीय
आन्दोलन (प्रथम चरण)
इस काल में ' भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ' की
स्थापना हुई, किंतु इस समय तक इसका लक्ष्य
पूरी तरह से अस्पष्ट था। उस समय इस आन्दोलन
का प्रतिनिधित्व अल्प शिक्षित,
बुद्धिजीवी मध्यम वर्गीय लोग कर रहे थे। यह
वर्ग पश्चिम की उदारवादी एवं अतिवादी
विचारधारा से प्रभावित था।
द्वितीय चरण (1905 से 1919 ई. तक)
मुख्य लेख : भारतीय राष्ट्रीय
आन्दोलन (द्वितीय चरण)
इस समय तक 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस'
काफ़ी परिपक्व हो गई थी तथा उसके लक्ष्य
एवं उद्देश्य स्पष्ट हो चुके थे। राष्ट्रीय कांग्रेस
के इस मंच से भारतीय जनता के सामाजिक,
आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक
विकास के लिए प्रयास शुरू किये गये। इस
दौरान कुछ उग्रवादी विचारधारा वाले
संगठनों ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद को
समाप्त करने के लिए पश्चिम के ही
क्रांतिकारी ढंग का प्रयोग भी किया।
तृतीय एवं अन्तिम चरण (1919 से 1947 ई. तक)
मुख्य लेख : भारतीय राष्ट्रीय
आन्दोलन (तृतीय चरण)
इस काल में महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस
ने पूर्ण स्वरज्य की प्राप्ति के लिए आन्दोलन
प्रारम्भ किया।
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